भारत का संविधान एक पवित्र ग्रंथ है जो अखंड़ भारत का प्रतीक है।
महामहिम राज्यपाल, श्री कलराज मिश्र
आज कानोड़िया पीजी महिला महाविद्यालय जयपुर के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा 6 अप्रैल 2024 को स्नातकोŸार की छात्राओं को राजभवन में नवनिर्मित संविधान पार्क का तीसरा भम्रण कराया गया जिसमें राजस्थान के महामहिम राज्यपाल कलराज मिश्र ने युवा छात्राओं से वार्तालाप करते हुए बताया की भारत की अखंडता और एकता का प्रतिनिधित्व करता भारत का संविधान एक पवित्र ग्रंथ है। जो भारत के प्रबुद्ध इतिहास एवं संस्कृति की झलक दिखलाता है। महामहिम ने छात्राओं से वार्तालाप करते हुए कहा कि भारत के संविधान द्वारा प्रदत अधिकारों के साथ-साथ भारतीय नागरिकों को कर्तव्यों की पालना भी करनी चाहिए। स्नातकोŸार राजनीति विज्ञान विषय की चतुर्थ सैमेस्टर की छात्रा प्रियंका गुप्ता ने महामहिम का संविधान पार्क के भम्रण की अनुमति देने के लिए अभिनन्दन किया।
आज के इस भम्रण द्वारा छात्राओं का विष्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देष भारत के संविधान निर्माण का व्यवहारिक परिचय हुआ। राजभवन के संवैधानिक पार्क में भारतीय संविधान के सभी अनुच्छेदों तथा महत्वपूर्ण सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक क्षणों को चित्रपटलों तथा मूर्ति स्तम्भों द्वारा उकेरा गया है। राजभवन के प्रोटोकाॅल कार्मिकों द्वारा इन सभी का परिचय काॅलेज की छात्राओं से कराया गया। संविधान के इस व्यवहारिक परिचय ने छात्राओं को उत्सुकता तथा गर्व से भर दिया। इस भम्रण में राजनीति विज्ञान की सहायक आचार्या डाॅ. निमिषा गौड़ एवं डाॅ. संजू शर्मा ने छात्राओं को संविधान से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में अवगत करवाया जैसे संविधान के हर भागे में भारत का एक महत्वपूर्ण छाया चित्र उकेरित है तथा महाबलिपुरम छाया चित्र नटराज छाया चित्र इत्यादि। इन छाया चित्रों को देखकर सभी छात्राओं का हृदय हर्षोल्लास से भर गया।
डाॅ. शर्मा ने छात्राओं को सम्बोधित करते हुए बताया कि राजनीति विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए यह अतिआवष्यक है कि गलोबल वल्र्ड में प्रसारित होते शैक्षणिक पैमानो के स्तर पर ’’हम भारत के लोग है’’ जिसे समस्त विद्यार्थी संविधान के माध्यम से समझे तथा आत्मसात करें।
महाविद्यालय प्राचार्या डाॅ. सीमा अग्रवाल ने बताया कि संविधान पार्क भम्रण के कानोड़िया पीजी महिला महाविद्यालय की युवा छात्राओं को शैक्षणिक भम्रण की अनुमति राजस्थान के महामहिम ने दी जिसका मूल उद्देष्य यही रहा है कि युवा छात्राएँ संविधान की मूल भावना को आत्मसार कर सके। इस दृष्टी से यह भम्रण पूर्ण रूप से सफल रहा।