राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन
2 फरवरी 2023 को कानोड़िया पीजी महिला महाविद्यालय में यूनिवर्सिटी फाइव ईयर लॉ कॉलेज, राजस्थान विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय (1- 2 फरवरी, 2023) ‘क्वालिटी इंप्रूवमेंट इन द डिसिप्लिन ऑफ आर्ट्स एंड लीगल स्टडीज थ्रू आउटकम बेस्ड एजुकेशन’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन हुआ।
संगोष्ठी में आज दो तकनीकी सत्र हुए जिनमें गांधी जी के विशेष संदर्भ में बुनियादी शिक्षा एवं रोजगार तथा परिणाम आधारित शिक्षा के अनुकूल शैक्षणिक दृष्टिकोण पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया। प्रथम सत्र के अध्यक्ष एवं मुख्य वक्ता वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी कोटा से प्रोफेसर श्री अरुण कुमार ने शिक्षा के संबंध में गांधी जी की विचारधारा की प्रासंगिकता और नई शिक्षा नीति पर अपने विचार व्यक्त किए। दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रोफेसर मनीषा रॉय ने शिक्षा के संबंध में गांधी जी की दूरदर्शिता की बात की और नई शिक्षा नीति को गांधीवादी विचारधारा के अनुकूल बताया। हरिदेव जोशी यूनिवर्सिटी जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन जयपुर से डॉ. शालिनी जोशी एवं सेंट जेवियर्स कॉलेज नेवटा से डॉ. डेनी शाजी ने भी विषय पर अपने विचार रखे। दूसरे सत्र में विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी जयपुर से प्रोफेसर विजय वीर सिंह ने अपने उद्बोधन में भारत के गौरवशाली अतीत और हमारी विश्व स्तरीय शिक्षा प्रणाली से उदाहरण देते हुए परिणाम आधारित शिक्षा पर जोर दिया। महाविद्यालय शिक्षा में पूर्व सह निदेशक डॉ. डीपी अग्रवाल ने शिक्षण संस्थानों से जुड़ी समस्याओं का उल्लेख किया और इन समस्याओं के साथ नई शिक्षा नीति किस प्रकार कार्य करेगी इस विषय पर चर्चा की। राजस्थान स्कूल ऑफ लॉ फॉर विमेन की प्राचार्य डॉ. वर्तिका अरोड़ा ने लीगल एजुकेशन की चुनौतियों को साझा किया। इस सत्र में कानोड़िया पीजी महिला महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग से प्राध्यापिका सुश्री आयुषी सोरल और राजस्थान स्कूल ऑफ लॉ फॉर विमेन से तान्या अग्रवाल ने पत्र वाचन किया। समापन सत्र में प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल ने सभी अतिथियों एवं वक्ताओं का स्वागत किया। सत्र की मुख्य अतिथि हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की उप कुलपति प्रोफेसर सुधी राजीव ने अपने वक्तव्य में कहा की शिक्षा ही हमें समग्र विकास की ओर ले जाती है और इस में शिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली से प्रोफेसर रुक्मणी सेन ने गांधीजी एवं अंबेडकर के सिद्धांतों के उदाहरण देते हुए अपनी बात कही। सत्र की अध्यक्ष महाविद्यालय निदेशक डॉ. रश्मि चतुर्वेदी ने नई शिक्षा नीति से जुड़ी चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा के प्रति अपना दृष्टिकोण बदलने की आज आवश्यकता है। लोक प्रशासन विभागाध्यक्ष डॉ. मनीषा माथुर ने दो दिन की समग्र रिपोर्ट प्रस्तुत की। उप-प्राचार्य (कला) एवं संगोष्ठी संयोजक डॉ. दीप्तिमा शुक्ला ने अंत में आभार व्यक्त किया।