One Week Faculty Development Program On Imagining The Future Of Classroom: Methodologies And Pedagogies For The 21st Century Teachers

फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का हुआ शुभारंभ दिनांक 1 जुलाई 2025 कानोड़िया पी.जी. महिला महाविद्यालय, जयपुर के टीचिंग-लर्निंग सेंटर द्वारा “इमेजिनिंग द फ्यूचर ऑफ क्लासरूम : मेथोडोलॉजी एंड पेडागोजी फॉर द 21 सेंचुरी टीचर्स विषय पर सात दिवसीय (1 जुलाई से 7 जुलाई 2025) फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) का शुभारंभ हुआ, जिसका मुख्य उद्देश्य शिक्षण की नवीनतम पद्धतियों से परिचय कराना, भविष्य की कक्षा की कल्पना एवं योजना बनाना तथा पारंपरिक और डिजिटल शिक्षण के समन्वय को बनाये रखना रहा। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल ने अपने स्वागत उद्बोधन में सत्र विशेषज्ञ का स्वागत किया तथा आज के बदलते शैक्षणिक परिदृश्य में शिक्षकों को पारंपरिक पद्धतियों से आगे बढ़कर डिजिटल और इनोवेटिव तकनीकों को अपनाते हुये कहा कि शिक्षकों के व्यावसायिक विकास की दिशा में इस तरह के कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण पहल बन सकते है। उद्घाटन सत्र विशेषज्ञ डॉ. पंकज मील, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष (टीपीओ एवं एलुमनाई रिलेशन्स), श्री बालाजी शिक्षा समिति, जयपुर ने ‘‘न्यू अप्रोचस टू टीचिंग“ विषय पर विस्तार से व्याख्यान देते हुए 21वीं सदी के प्रमुख कौशलः संचार कौशल, सहयोग, लेटरल थिकिंग तथा डिजिटल साक्षरता एवं आधुनिक शिक्षण विधियों जैसे कि फ्लिप्ड क्लासरूम, ब्लेंडेड लर्निंग, अनुभवात्मक शिक्षण, गेमिफिकेशन, समस्या-आधारित शिक्षण के बारे में जानकारी दी। उन्होंने एनईपी 2020 और शैक्षणिक बदलाव, समग्र और बहुविषयक शिक्षा, प्रौद्योगिकी एकीकरण और भारतीय ज्ञान प्रणाली और गुरुकुल प्रणाली अंतर्दृष्टि पर ध्यान केंद्रित किया तथा गीता और आधुनिक अनुप्रयोग, रामायण और मूल्य शिक्षा की तुलना की साथ ही समकालीन भारतीय नवाचार, आधुनिक शिक्षण में प्रौद्योगिकी और विविध कक्षा रणनीतियों के उपयोग पर प्रकाश डाला। आज के शिक्षण में पारंपरिक मूल्यों (अनुशासन, नैतिकता) और आधुनिक विधियों (तकनीक, नवाचार) का संतुलित मिश्रण आवश्यक है। उद्घाटन सत्र को सभी ने ज्ञानवर्धक और प्रासंगिक बताया।महाविद्यालय की लगभग 84 व्याख्याताओं ने भाग लिया। डॉ. टीना सिंह भदौरिया ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा धन्यवाद ज्ञापित किया।

“इमेजिनिंग द फ्यूचर ऑफ क्लासरूम : मेथोडोलॉजी एंड पेडागोजी फॉर द 21 सेंचुरी टीचर्स
सात दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का हुआ समापन

कानोड़िया पी.जी. महिला महाविद्यालय, जयपुर के टीचिंग-लर्निंग सेंटर द्वारा सात दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का समापन दिनांक 7 जुलाई को हुआ। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 21वीं सदी की बदलती शैक्षणिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों को नवीनतम शिक्षण तकनीकों, मूल्य आधारित शिक्षण, और व्यावहारिक ज्ञान से संपन्न बनाना था। महाविद्यालय निदेशक, डॉ. रश्मि चतुर्वेदी ने अपने अनुभव साझा किये तथा प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल ने बताया कि आज का शिक्षक केवल विषयवस्तु प्रदाता नहीं, बल्कि मार्गदर्शक, प्रेरक और नवप्रवर्तनकर्ता है। नवीन शिक्षण पद्धतियाँ जैसे छात्र-केंद्रित शिक्षा, प्रोजेक्ट आधारित शिक्षण, डिजिटल टूल्स का एकीकरण, और मूल्य आधारित संवाद अब कक्षा का अनिवार्य हिस्सा बन चुके हैं। उद्घाटन सत्र में डॉ. पंकज मील, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, टीपीओ एवं एलुमनाई रिलेशन, श्री बालाजी शिक्षा समिति, जयपुर ‘‘न्यू अप्रोचस टू टीचिंग“ ने बदलते समय में शिक्षण के स्वरूप पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अब केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित शिक्षा पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कक्षा को एक संवादात्मक मंच बनाने पर बल दिया। दूसरे दिन के सत्र में डॉ. तंजुल सक्सेना, प्राचार्य, महात्मा गांधी कॉलेज ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन, जयपुर द्वारा ‘‘प्रोफेशनल बिहेवियर एंड वर्क एथिक्स’’ विषय पर “मानवशास्त्रीय धर्म” और “भारतीय ज्ञान प्रणाली” के परिप्रेक्ष्य में एक शिक्षक के आचरण, उत्तरदायित्व और नैतिक मूल्यों की विवेचना की। उन्होंने कहा कि शिक्षक का आचरण ही विद्यार्थियों में संस्कार और जीवन मूल्यों का आधार होता है। तीसरे दिन के सत्र में डॉ. मृदु गोयल, सहायक प्रोफेसर, सीनियर स्केल, सीडीओई, मणिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर ने ‘एंटरप्रन्योरशिप रिडिफाइनेडः लीन थिंकिंग अप्रोच’’, “लीन थिंकिंग” और “स्टार्टअप माइंडसेट” को शिक्षण पद्धति से जोड़ने पर चर्चा की। चौथे दिन का सत्र शिक्षकों की आत्म-समझ, मानसिक स्वास्थ्य, और स्मार्ट वर्किंग स्ट्रेटेजीज़ पर केंद्रित था। डॉ. हर्षिका पारीक, मनोचिकित्सक एवं संस्थापक, काउंसलर्स चेयर ने “क्रिएटिंग ए पर्सनलाइज्ड टूलकिट फॉर फैकल्टी“ विषय पर जानकारी दी। उन्होंने सुझाव दिया कि हर शिक्षक को अपनी “पर्सनल टूलकिट“ विकसित करनी चाहिए, जिसमें रिफ्लेक्टिव जर्नलिंग, टाइम मैनेजमेंट, इमोशनल इंटेलिजेंस और माइंडफुलनेस अभ्यास शामिल हों। पाँचवें दिन ऑनलाइन माध्यम से आयोजित किया गया जिसमें डॉ. सिद्धार्थ श्रीवास्तव स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी एंड एविएशन, गलगोटियास यूनिवर्सिटी, नोएडा ने हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग के माध्यम से शिक्षकों को वूलकैंप नामक डिजिटल टूल का उपयोग करना सिखाया। यह टूल शिक्षण को अधिक सहभागितापूर्ण, संवादात्मक और टेक्नोलॉजी समर्थ बनाता है। अंतिम सत्र में डॉ. वीना के. अरोड़ा, सह-संस्थापक एवं निदेशक, 3टी ट्रायम्फ थ्रू ट्रेनिंग प्रा. लि. ‘‘स्ट्रेंगथनिंग टीचर-स्टूडेंट कनेक्शन ए पिलर ऑफ क्लासरूम सक्सेस’’ मे सत्र विशेषज्ञ ने शिक्षक और छात्र के बीच संबंधों को कक्षा की सफलता का मूल बताया। उन्होंने कहा कि एक शिक्षण वातावरण तभी प्रभावशाली हो सकता है जब उसमें विश्वास, संवाद, और सहानुभूति हो। प्रतिभागियों के लिए एक असेसमेंट टेस्ट आयोजित किया गया। कार्यशाला के समापन पर प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किये। टीएलसी टीम के सदस्यों डॉ. प्रीति शर्मा, डॉ. मोहिता चतुर्वेदी शर्मा, डॉ. टीना सिंह भदौरिया, डॉ. भारती गोदवानी, डॉ. मंजरी भारद्वाज, रुखसार, दीपा चौहान के सहयोगात्मक प्रयास से कार्यक्रम का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। मंच संचालन डॉ. रचना गोस्वामी द्वारा किया गया तथा  धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डॉ. रीमा श्रीवास्तव ने दिया।