National Seminar in collaboration with ISLS

कानोड़िया पी. जी. महिला महाविद्यालय, जयपुर में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर लाइफ साइंसेज़ के सौजन्य से ‘एडवांसेज इन इनवायरनमेन्टल स्टडीज़ एण्ड पब्लिक हैल्थ’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ दिनांक 26 सितंबर, 2023 को महाविद्यालय सभागार में हुआ । इस संगोष्ठी का आयोजन ’विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस’ के अवसर पर किया गया। उद्घाटन सत्र में सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए, प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल ने जनसाधारण के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के मध्य गहन संबंध को रेखांकित किया, उन्होंने कहा कि क्योंकि हम पर्यावरणीय स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते, इसलिये इसका खामियाजा हम स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के तौर पर भुगत रहे हैं। प्रदूषण एक मानवीय कृत्य है। यदि हम प्रकृति के प्रति सम्मान का भाव रखेंगे तो प्रदूषण जैसी समस्याएँ स्वतः ही समाप्त हो जायेंगी। उन्होंने ‘रिड्यूस-रिसाइकल-रियूज़’ को जीवन का मंत्र बनाने पर बल दिया। प्रो. निमाली सिंह, प्राचार्य, विश्वविद्यालय महारानी महाविद्यालय एवं सदस्य सिंडिकेट, राजस्थान विश्वविद्यालय ने कहा कि वर्तमान मानव पीढ़ी ने न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहँुचाया है, परंतु साथ ही हम अंतिम पीढ़ी हैं, जिसके कंधों पर पर्यावरण संरक्षण का दारोमदार भी पूरी तरह से है। हमें पैकेज्ड फूड पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिये, ताकि पर्यावरण संरक्षण में हम अपना योगदान दे सकें। प्रो. अशोक कुमार, अध्यक्ष इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर लाइफ साइंसेज़ ने कहा कि संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य युवाओं में पर्यावरण के उपयोग और संरक्षण के प्रति जागृति फैलाना है। आज मानव समाज में जितनी भी वृद्धि हुई है उसकी पृष्ठभूमि में पर्यावरण है। आज के समय में युवाओं में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागृति लाने का उत्तरदायित्व सर्वाधिक शिक्षकों के कंधों पर है। संगोष्ठी की आयोजन सचिव डॉ. ऋतु जैन ने संगोष्ठी एवं सत्रों का परिचय दिया। डॉ. गौरव गोवर्धन, वैज्ञानिक एवं लीड मेंबर, डिसिज़न सपोर्ट सिस्टम फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट, आई.आई.टी.एम, पुणे ने वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान पर अपनी प्रस्तुति में बताया कि किस प्रकार आर्टिफिशियल इंटेलीजेन्स द्वारा वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने के प्रयास दिल्ली में दिल्ली सरकार द्वारा किये जा रहे हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजीव अरोड़ा, चैयरमैन, राज. लघु उद्योग कॉरपोरेशन, राजस्थान सरकार ने कहा कि राजस्थान अपनी विरासत के कारण पर्यटन के क्षेत्र में अग्रणी रहा है, परंतु यहाँ स्थापत्य कला और पर्यावरण संरक्षण के मध्य गहन संबंध रहा है, जिसके उदाहरण यहाँ के कुएँ, बावड़ी एवं पानी के टाँके है। राजस्थान के लघु उद्योग इस तथ्य का उदाहरण हैं, कि किस प्रकार बिना पर्यावरणीय प्रदूषण में बढ़ोतरी किये, उत्पादन करके, सस्टेनेबिलिटी को चरितार्थ किया जा सकता है। बिना विचारे आधुनिकता और तकनीक को अपनाना अत्यंत हानिकारक है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में महाविद्यालय निदेशक डॉ. रश्मि चतुर्वेदी ने कहा कि हमने वर्तमान पर्यावरणीय समस्याओं के प्रबंधन के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिज़ेंस तकनीक का सहारा लिया, परंतु हमें ई-वेेस्ट जैसी समस्या को आज ही सुलझाने के प्रबंध करने चाहिये। संगोष्ठी के प्रथम दिवस पर आयोजित दो तकनीकी सत्रों में प्रो. अशोक कुमार, प्रो. सुभाषिनी शर्मा, विजय गुप्ता, मुकेश गुप्ता, प्रो. के.पी. शर्मा, प्रो. निवेदिता कौल, प्रो. लक्ष्मीकांत शर्मा, प्रो. मुकेश कुमार शर्मा, डॉ. रेणु बिस्ट, सुनीता मंत्री एवं डॉ. पंकज जैन ने पर्यावरणीय अध्ययन एव जन स्वास्थ्य से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे। संगोष्ठी में उप-प्राचार्य (वाणिज्य) डॉ. सुनीता माथुर, उप-प्राचार्य (महाविद्यालय विकास) डॉ. रंजुला जैन, उप-प्राचार्य (कला) डॉ. मनीषा माथुर एवं उप-प्राचार्य (विज्ञान) डॉ. रंजना अग्रवाल, अन्य प्राध्यापिकाओं सहित लगभग 200 छात्राओं ने भाग लिया। अंत में संगोष्ठी की आयोजन सचिव डॉ. ऋचा चतुर्वेदी द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

National Seminar in collaboration with ISLS (Day-2)

27 सितम्बर, 2023 को कानोड़िया पीजी महिला महाविद्यालय, जयपुर में इंटरनेशनल सोसायटी फॉर लाइफ साइंसेज़ के सौजन्य से ’एडवांसेज़ इन एनवायरनमेंटल स्टडीज़ एंड पब्लिक हेल्थ’ पर चल रही दो दिवसीय संगोष्ठी का समापन हुआ। संगोष्ठी के द्वितीय दिवस पर तृतीय एवं चतुर्थ तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया। तृतीय सत्र में छात्राओं द्वारा शोध पत्र वाचन किया गया। छात्राओं ने मुख्यतः मृदा परिवर्तनशीलता, बायोगैस संयंत्र, ओजोन परत छिद्र पर चर्चा प्रस्तुत की। सत्र में निर्णायक के रूप में महाविद्यालय की विज्ञान संकाय उप-प्राचार्य, डॉ. रंजना अग्रवाल एवं महारानी श्री जया राजकीय महाविद्यालय, भरतपुर के प्राणिषास्त्र विभाग की प्रो. मंजुलता शर्मा रहीं, जिन्होंने पत्र वाचकों के साथ अपने विचार साझा किए एवं उन्हें शोध के लिए बधाई दी। चतुर्थ सत्र में छात्राओं एवं शोधकर्ताओं द्वारा अपने शोध पर आधारित पोस्टर प्रस्तुत किए गए। संगोष्ठी के समापन सत्र में आमंत्रित वक्तव्य आईएसएलएस के सचिव, सहायक निदेषक, कॉलेज षिक्षा, राजस्थान, जयपुर एवं प्राणिषास्त्र विभाग के प्रो. हेमंत पारीक का रहा। प्रो. पारीक ने बताया किस प्रकार ट्राइडैक्स प्रोकम्बेंस चिकित्सा जगत में एक महत्वपूर्ण भूमिका रखती है। कार्यक्रम के अन्तिम चरण में स्वागत वक्तव्य महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल द्वारा दिया गया, उन्होंने कहा कि पर्यावरण की चिंता केवल एक राज्य या राष्ट्र तक ही सीमित नहीं है, यह एक वैश्विक चिंता का विषय है। हमें अपनी जलवायु और परिवेश के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है। कार्यक्रम की समापन रिपोर्ट डॉ. पालू जोशी द्वारा प्रस्तुत की गई, जिसमें डॉ. जोशी ने चारों शोध सत्रों की मुख्य वार्ता को श्रोताओं के बीच रखा। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथिगणों प्रो. मनोज पंडित, मेजर जनरल सुभाष चंद्र, एवं वन्य सेवा अधिकारी शैलजा देवल ने भी संगोष्ठी के विषय पर अपने विचार रखे। अध्यक्षीय उद्बोधन प्रो. अषोक कुमार ने दिया। कार्यक्रम के अंत में शोध पत्र वाचन के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। समापन सत्र में उप-प्राचार्य (महाविद्यालय विकास) डॉ. रंजुला जैन, उप-प्राचार्य (कला) डॉ. मनीषा माथुर एवं उप-प्राचार्य (विज्ञान) डॉ. रंजना अग्रवाल, अन्य प्राध्यापिकाओं सहित लगभग 200 छात्राओं ने भाग लिया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रंजना अग्रवाल, उप-प्राचार्य, विज्ञान संकाय ने दिया