Brajbhasha Sangoshthi Programme to be held on 11-09-2025

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का कल होगा आयोजन प्रेस नोट एवं मीडिया कवरेज हेतु आमंत्रण
कानोड़िया पी.जी. महिला महाविद्यालय के हिन्दी विभाग, राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर, कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, राजस्थान सरकार, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय ब्रजभाषा महिला साहित्यकार सम्मेलन, अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन दिनांक 11 सितंबर 2025 को किया जायेगा। ‘‘ब्रजभाषा साहित्य माँहिं कृष्ण भक्ति संप्रदायन कौ योगदान अरु बिनके अंतः अनुशासनिक संदर्भ’’ विषयक इस संगोष्ठी का उद्घाटन कल प्रातः 09.00 बजे होगा। उद्घाटन  सत्र में मुख्य अतिथि आई.ए.एस. डॉ. कृष्ण कांत पाठक, विशिष्ट अतिथि व्यासपीठ प्रमुख डॉ. संजय गोस्वामी, बबीज वक्ता प्रसिद्ध साहित्यकार आचार्य ज्योति प्रकाश दुबे होंगे। समापन सत्र में मुख्य अतिथि कुलगुरू हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, जयपुर से प्रो. नन्द किशोर पाण्डेय, विशिष्ट अतिथि आई.ए.एस. श्री पंकज ओझा होंगे। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल ने जानकारी दी कि संगोष्ठी के अंतर्गत ‘‘कृष्ण भक्ति सम्प्रदाय अरु ब्रजभाषा साहित्य’’ एवं ‘‘कृष्ण भक्ति संप्रदायन के अंतः अनुशासनिक संदर्भ’’ विषयक दो चर्चा सत्र होंगे जिनमें देश-विदेश के प्रमुख साहित्यकार, शिक्षण संस्थानों से शिक्षक एवं शोधार्थी विषय पर चर्चा करेंगे।
महाविद्यालय परिसर में कार्यक्रम की मीडिया कवरेज हेतु कैमरामैन के साथ आप सादर आमंत्रित हैं।

Brajbhasha International Seminar

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

कानोड़िया पी.जी. महिला महाविद्यालय के हिन्दी विभाग, राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर, कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, राजस्थान सरकार, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय ब्रजभाषा महिला साहित्यकार सम्मेलन, अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन दिनांक 11 सितंबर 2025 को किया गया। ‘‘ब्रजभाषा साहित्य माँहिं कृष्ण भक्ति संप्रदायन कौ योगदान अरु बिनके अंतः अनुशासनिक संदर्भ’’ विषयक उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि आई.ए.एस. डॉ. कृष्ण कांत पाठक, विशिष्ट अतिथि व्यास पीठ प्रमुख डॉ. संजय गोस्वामी, बीज वक्ता प्रसिद्ध साहित्यकार आचार्य ज्योति प्रकाश दुबे रहे। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि भक्ति आंदोलन ने जनमानस को गहराई से प्रभावित किया और सामाजिक चेतना को आध्यात्मिक दिशा दी। संगोष्ठी संयोजक एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. शीताभ शर्मा ने संगोष्ठी विषय व सत्रों की रूपरेखा से अवगत करवाया। मुख्य अतिथि डॉ. कृष्ण कांत पाठक ने भक्ति के विविध भावों को रेखांकित किया। आचार्य ज्योति प्रकाश दुबे ने प्रेमगीतों के माध्यम से कृष्ण जन्म को अंधकार से प्रकाश की यात्रा बताया श्री संजय गोस्वामी ने राधा और उनकी सखियों के महत्व को रेखांकित किया। अध्यक्षीय उद्बोधन में महाविद्यालय निदेशक डॉ. रश्मि चतुर्वेदी ने कृष्ण के जीवन की चुनौतियों और उनकी नेतृत्व क्षमता की बात की। प्रथम चर्चा सत्र की अध्यक्षता डॉ. कृष्ण चंद्र गोस्वामी ने की। इस सत्र में वक्ता के रूप में बनारस से डॉ. विद्योत्तमा मिश्र, महाराष्ट्र से डॉ. सुनीति आचार्य और दिल्ली से डॉ. नृत्य गोपाल शर्मा ने ब्रजभाषा साहित्य में कृष्ण भक्ति संप्रदाय और ब्रजभाषा साहित्य विषय पर अपने विचार व्यक्त किये।
दूसरे चर्चा सत्र में अध्यक्ष बैंगलोर से डॉ. मैथिली प्रकाश राव, वनस्थली विद्यापीठ से वक्ता डॉ. अन्नपूर्णा शुक्ला एवं आकाशवाणी दिल्ली से श्रीमती चंद्रवती शर्मा ने कृष्ण भक्ति संप्रदाय के अंतः अनुशासनिक संदर्भ विषय पर चर्चा की। दोनों सत्रों में 12 पत्रवाचन किये गये। इसमें चित्तौड़गढ़ से आये सहायक आचार्य डॉ. श्याम सुंदर पारीक और आगरा से शोध छात्रा यामिनी कौशिक को सर्वश्रेष्ठ पत्रवाचन के लिये सम्मानित किया गया। सह-संयोजक डॉ. मोहिता चतुर्वेदी शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सत्र संचालन डॉ. विष्णु प्रिया टेमाणी एवं सुश्री चारुल शर्मा ने किया। इसी क्रम में सह-संयोजक डॉ. धर्मा यादव ने संगोष्ठी प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और सहायक आचार्य श्रुति पाण्डेय के गीता श्लोक वाचन के साथ समापन सत्र शुरू हुआ।इस सत्र के मुख्य अतिथि हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, जयपुर से कुलगुरू प्रो. नन्द किशोर पाण्डेय ने कृष्ण भक्ति पंरपरा में आचार्यों की भूमिका पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि आर.ए.एस. श्री पंकज ओझा ने राम और कृष्ण का उल्लेख करते हुये सनातन संस्कृति के जीवन संदेश पर बात की। शुक संप्रदाय से आचार्य प्रवीण जी ने भक्त माल पर चर्चा की। इसी के अंतर्गत निम्बार्क भूषण श्री रामस्वरूप गौड़ ने भी विषय पर विचार व्यक्त किये। इस आयोजन में देश-विदेश के लगभग 100 प्रमुख साहित्यकार, शिक्षण संस्थानों से शिक्षक एवं शोधार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।