हिन्दी दिवस समारोह- 2025
‘‘हिन्दी को अधिकार चाहिए, सब लोगों का प्यार चाहिए।
निभने और निभाने वाला, वैचारिक व्यवहार चाहिए।।’’ (कवि कमलाकर ‘कमल’)
कानोड़िया पी.जी. महिला महाविद्यालय, जयपुर के हिन्दी विभाग द्वारा दिनांक 12 से 15 सितम्बर को हिन्दी दिवस समारोह का आज प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल के वक्तव्य एवं पुरस्कार वितरण के साथ समापन हुआ।
समारोह में 12 सितम्बर को ‘हिन्दी कहानी समीक्षा-लेखन कार्यशाला’ व प्रतियोगिता आयोजित की गयी। इसमें हिन्दी विभागाध्यक्ष व समीक्षक डॉ. शीताभ शर्मा ने छात्राओं को हिन्दी कहानी की तात्विक समीक्षा लिखना सिखाया। उपस्थित 40 छात्राओं में से 19 छात्राओं ने ‘कहानी समीक्षा-लेखन प्रतियोगिता’ में भाग लिया। प्रतियोगिता के अंत में छात्रा प्रियंका राठौड़ ने हिन्दी भाषा पर अपनी स्व-रचित कविता का पाठ किया।
इसी क्रम में दिनांक 12 सितम्बर को ‘हिन्दी के प्रचार-प्रसार में युवाओं की भूमिका’ विषय पर हिन्दी निबंध-लेखन प्रतियोगिता में महाविद्यालय की 43 छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
दिनांक 15 सितम्बर को इन प्रतियागिताओं में विजयी छात्राओं को पुरस्कृत किया गया। कहानी समीक्षा में प्रथम स्थान पर अमरजोत कौर, बी.ए. पंचम समसत्र को ‘पूस की एक रात’ कहानी, द्वितीय स्थान पर स्वीटी, बी.ए. प्रथम समसत्र को ‘ईदगाह’ कहानी, तृतीय स्थान पर सोनामणी दास बी.ए. पंचम समसत्र को ‘पूस की रात’ कहानी, सांत्वना पुरस्कार सौम्या बसवाल, बी.ए. प्रथम समसत्र को ‘ईदगाह’ कहानी, मधुबाला मीणा, बी.ए. प्रथम समसत्र को ‘दो बैलों की कथा’ कहानी, कृष्णा सैन बी.ए. प्रथम समसत्र को ‘सूरदास की झोपड़ी’ कहानी के लिए पुरस्कृत किया गया।
हिन्दी निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर पायल सैनी बी.ए. पंचम समसत्र को, द्वितीय स्थान पर राशि चौधरी, बी.ए. अंग्रेजी ऑनर्स को, तृतीय स्थान पर तनिषा, बी.ए. प्रथम समसत्र, सांत्वना पुरस्कार तेजस्वी सहारिया, बी.ए. तृतीय समसत्र तथा मुस्कान स्वामी, बी.एस.सी. प्रथम समसत्र को दिया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल ने छात्राओं को हिन्दी भाषा में व्यवहार करने हेतु प्रेरित किया। उप-प्राचार्य (महाविद्यालय विकास) डॉ. रंजुला जैन ने हिन्दी भाषा एवं साहित्य की गतिविधियों में निरन्तर जुड़े रहने के लिए छात्राओं को प्रेरित किया। हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. शीताभ शर्मा ने हिन्दी की उपेक्षा पर क्षोभ को अपने एक गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया-
‘‘हिन्दी को भूले तो अभिव्यक्ति मूक बन गयी। स्वदेश में विदेशी मजबूत मूल कर रही।
आंटी-अंकल में सकल रिश्ते सिमट कर रह गये। सभी हिन्दी भाषी ये मूक बने सह रहे।
कब लोगे हिन्दी की संभार?? कब होगा हिन्दी का उद्धार??’’
इस अवसर पर हिन्दी निबंध प्रतियोगिता की निर्णायक रही डॉ. पूर्वा भारद्वाज (राजनीतिक विज्ञान विभाग) तथा डॉ. प्रिंयका अग्रवाल (इतिहास विभाग) ने भी हिन्दी भाषा के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम के अंत में प्रतियोगिता संयोजक डॉ. धर्मा यादव ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए हिन्दी भाषा के शुद्धिकरण पर अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन बी.ए. तृतीय समसत्र की छात्रा तेजस्वी सहारिया ने किया। 
