राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) ईकाईयों एवं आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 20 से 23 दिसंबर, 2024 तक प्लास्टिक कचरा संग्रहण अभियान का आयोजन किया।

कानोड़िया पी.जी. महिला महाविद्यालय, जयपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) ईकाईयों एवं आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 20 से 23 दिसंबर, 2024 तक प्लास्टिक कचरा संग्रहण अभियान का आयोजन किया। इस अभियान के तहत 101 किलो से भी ज्यादा प्लास्टिक कचरा एकत्रित कर बिसलेरी इंडिया लिमिटेड को पुनर्नवीनीवरण एवं पुनर्चक्रण के लिये दिया गया। इस अभियान का उद्देश्य प्लास्टिक कचरे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाना और उसे पुनः उपयोग के लिए एकत्रित करना था। इस अभियान के द्वारा समाज को यह संदेश देना था कि “यूज्ड प्लास्टिक कचरा नहीं है, यह पुनः उपयोग योग्य है।“ इस पहल से यह स्पष्ट किया गया कि प्लास्टिक कचरे को सही तरीके से पुनर्नवीनीकरण किया जाए तो यह पर्यावरण के लिए हानिकारक होने के बजाय उपयोगी बन सकता है। छात्राओं और स्टाफ सदस्यों को प्रोत्साहित किया गया कि वे अपने घरों से उपयोग की हुई प्लास्टिक की बोतलें और अन्य प्लास्टिक सामग्री इस अभियान में जमा करवाये। स्वयंसेविकाओं ने पोस्टर और स्लोगन के माध्यम से प्लास्टिक के पुनर्चक्रण के महत्व को समझाया। “यूज्ड प्लास्टिक को कचरे में न फेंके, उसे पुनः उपयोग में लाएं” जैसे नारे लगाए गए। एकत्रित प्लास्टिक सामग्री को अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया ताकि इसे सही तरीके से पुनर्नवीनीकरण के लिए भेजा जा सके। इस चार दिवसीय अभियान में छात्राओं और शिक्षिकाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। बड़ी मात्रा में प्लास्टिक बोतलें, पॉलिथीन और अन्य प्लास्टिक सामग्री एकत्र की गई। इन सामग्रियों को आगे पुनर्चक्रण केंद्र भेजने की व्यवस्था की गई। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल ने बताया इस अभियान ने छात्राओं और स्टाफ को पर्यावरण संरक्षण के महत्व से जोड़ा और प्लास्टिक कचरे के पुनर्चक्रण की प्रक्रिया के प्रति जागरूक किया। राष्ट्रीय सेवा योजना की इस पहल से न केवल प्लास्टिक कचरा कम हुआ, बल्कि पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम भी उठाया गया। महाविद्यालय की यह पहल अन्य संस्थानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी और पर्यावरण संरक्षण में सहायक सिद्ध होगी। यह अभियान कार्यक्रम अधिकारी डॉ. आंचल पुरी, विजयलक्ष्मी गुप्ता, डॉ. रेणु शक्तावत, महिमा रामचंदानी एवं चारुल शर्मा के निर्देशन में पूरा हुआ एवं स्वयंसेविका प्रीति राठौड़ की सक्रिय भूमिका रही ।