“विस्तृत व्याख्यान एवं परस्पर संवाद सत्र का आयेजन”
कानोडिया पी.जी. महिला महाविद्यालय, जयपुर कें चित्रकला विभाग की ओर से ‘‘सौन्दर्यं बोध की नींव के मध्य नित्य-अनित्य’’ विषय पर विस्तृत व्याख्यान एवं परस्पर संवाद सत्र का आयोजन किया गया। इस सत्र के सुत्राधार प्रसिद्ध कवि एवं कलाकार श्री अमित कल्ला रहे। प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल ने अतिथि का स्वागत करते हुए कहा कि सौन्दर्यं बोध के बिना मनुष्य की कल्पना नहीं की जा सकती है। श्री अमित कल्ला जी ने बताया कि अधिकांश कला अभिव्यक्ति अनित्य से जन्म लेती है तथा नित्य को प्राप्त करने की कोशिश करती है। उन्होंने भारतीय सौन्दर्यं शास्त्र को विश्व का प्राचीनतम सौन्दर्यंशास्त्र कहा जिसे परम सत्य एवं परम आनन्द के साथ जोड़ा गया। उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि भारत एक देश ही नहीं है वरन् स्वंय में एक सम्पूर्ण सभ्यता है। भरतमुनि के नाट्यशास्त्र की व्याख्या करते हुए उन्होंने नौ रसों की व्याख्या की, जिसमें परम आनन्द को समझाया गया। इन्होंने सौन्दर्यशास्त्र की पूर्वी एवं पश्चिमी विचारधाराओं की बात की। इन दोंनो विचारधाराओं का परस्पर निष्कर्ष यह निकलता है कि सौन्दर्यं में अभिव्यक्ति, अनुभूति एवं अनुभव महत्वपूर्ण तत्व है। उन्होंने छात्राओं को स्वंय के भीतर को पहचानने हेतु प्रेरित किया। इस संवाद सत्र के दौरान उप-प्राचार्य डॉ. मनीषा माथुर तथा अन्य प्राध्यापिकाओं सहित 64 छात्राओं ने उत्साह के साथ भाग लिया। मंच का संचालन विभाग की स्नातक सेमेस्टर पंचम की छात्रा पूर्वा चौधरी एवं प्रतिभा शर्मा ने किया। इस सत्र का संचालन विभागाध्यक्ष डॉ. सारिका कौल के सानिध्य में अन्य विभाग सदस्यों के सहयोग के साथ सम्पन्न हुआ।