“अनुसंधान में आईसीटी टूल्स के प्रयोग" पर सात दिवसीय कार्यशाला का समापन
कानोड़िया पीजी महिला महाविद्यालय, जयपुर के टीचिंग लर्निंग सेंटर एवं सेंटर फॉर रिसर्च एंड डवलपमेंट द्वारा “अनुसंधान में आईसीटी टूल्स के प्रयोग“ पर सात दिवसीय कार्यशाला 27 जनवरी, 2025 को सम्पन्न हुई। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य महाविद्यालय में शोध व अनुसंधान को बढ़ावा देना तथा रिसर्च में आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) टूल्स के प्रभावी उपयोग को प्रोत्साहित करना था। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल ने कार्यशाला के महत्व को बताते हुये कहा कि एआई और आईसीटी टूल्स का उपयोग शोध कार्यां में नवाचार और विकास को बढ़ावा देने में सहायक हो सकता है तथा भविष्य में इस प्रकार की कार्यशालाओं को और अधिक विषयों पर विस्तारित किया जाएगा। उद्घाटन सत्र विशेषज्ञ प्रो. मानविंदर सिंह पाहवा, कॉमर्स विभाग, डॉ. हरिसिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी, सागर, मध्य प्रदेश ने रिसर्च मेथोडोलॉजी में एआई के बढ़ते महत्व के बारे में विस्तार से बताया तथा अनुसंधान पद्धति की प्रक्रिया, तकनीकों, घटकों, विभिन्न प्रकार के विश्लेषणों के बारे में जानकारी दी । दूसरे दिन का सत्र ‘बिबलियोग्राफी एवं प्लेजरिज़म इन रिसर्च’ पर केंद्रित था। डॉ. आर.के. टेलर, व्यवसाय प्रशासन विभाग, मणिपाल यूनिवर्सिटी,जयपुर ने शोध पत्र लिखते समय विचार किए जाने वाले बिंदुओं, वर्तमान शोध में प्रमुख मुद्दों, ग्रंथ सूची में संदर्भ की आवश्यकता तथा साहित्यिक चोरी से बचने के लिए प्रामाणिक सॉफ्टवेयर के उपयोग के बारे में भी चर्चा की। तीसरे दिन के सत्र में डॉ. अभिनीत सक्सेना, सह-आचार्य, फाइनेंस एंड ऑपरेशनल रिसर्च, एमिटी बिज़नेस स्कूल, जयपुर ने “एक्सेल के माध्यम से अनुसंधान को सशक्त बनाना“ विषय पर चर्चा करी। एक्सेल की आवश्यकता डेटा विज़ुअलाइज़ेशन उपकरण, गुणवत्तापूर्ण शोध पत्र, सांख्यिकीय विश्लेषण, एक्सेल ऐड इन्स, टूल पैक के विश्लेषण पर विस्तृत जानकारी दी। चौथे दिन के सत्र में डॉ. ब्रिजेश अवस्थी, सह-आचार्य, आईसीएफएआई, बिजनेस स्कूल जयपुर “एडवांस एक्सेल“ के अंतर्गत डेटा एनालिटिक्स के बारे में जानकारी दी, विभिन्न प्रकार के डेटा वर्णनात्मक, डायग्नोस्टिक, पूर्वानुमानात्मक, प्रिस्क्रिप्टिव, डेटा संग्रह, विश्लेषण और व्याख्या के बारे में अवगत किया। पांचवे दिन श्री अनुज आहूजा, फाउंडर स्टडी बेस ने “छात्र सूचना प्रणाली और एआई उपकरण“ से संबंधित विभिन्न उपकरणों के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए आईसीटी उपकरण परिदृश्य, प्रशासनिक, टीचिंग-लर्निंग, शोध, कोलैबोरेटिव टूल्स के बारे में बताया। लेखन प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने के लिए सॉफ़्टवेयर टूल्स जैसे ग्रामरली, टर्निटिन आदि के उपयोग के बारे में जानकारी दी। छठे दिन डॉ. राजेश कुमार सिन्हा, सह आचार्य, फाइनेंस जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, जयपुर द्वारा सरल रूप में डेटा की कोडिंग और विश्लेषण के लिए अनुसंधान में एसपीएसएस सॉफ्टवेयर के महत्व और आवश्यकता के बारे में चर्चा की गई। कार्यशाला का समापन प्रतिभागियों के असेस्मेंट टेस्ट के साथ हुआ। कार्यशाला में व्याख्यान, चर्चा, और हाथों-हाथ प्रशिक्षण सत्र शामिल थे। यह कार्यशाला सकारात्मक रही और इसके द्वारा दी गई जानकारी से उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान में एआई सहित विभिन्न आईसीटी टूल्स का उपयोग सुगमता से किया जा सकेगा।